उत्तर प्रदेश की मिट्टीयां
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Soils of Uttar Pradesh in Hindi
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में सहारनपुर, मेरठ मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, पीलीभीत बरेली जिले में एक तरह की मिटटी है. यहाँ की मित्त्री अधिकांश गहरी भूरी और कहीं पर चिकनी हैं और कहीं-कहीं उसमें बालू भी मिली हैं. यह मिट छिछली हैं, इसमें कंकड़ पत्थर काफी पाए जाते हैं. सामान्यत: यह मिटटी अम्लीय हैं. प्रदेश के पश्चिमी मैदानों में मिटटी (सहारनपुर , मुजफ्फरनगर, मेरठ) गहरी और सामान्य से अधिक उर्वरा हैं. थोडा पूर्व की और आगे चलकर (बरेली , बिजनौर, मुरादाबाद , पीलीभीत) मिटटी अधिक चिकनी हैं. पीलीभीत से आगे की और तो मिटटी अम्लीय हैं, किन्तु बाकी मिटटी में थोडा क्षरात्व हैं.
प्रदेश के केन्द्रीय क्षेत्र खीरी, हरदोई , लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर , आजमगण, कानपुर के आसपास चिकनी और बलुई चिकनी मिटटी हैं जिसमे थोडा अम्ल भी हैं.
प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में गोरखपुर, बस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर तथा गोण्डा क्षेत्र में दो प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘मांट’ और ‘बंजर’ कहा जाता हैं.
नदी किनारे की मिटटी को ‘नूह’ कहते हैं, ‘मांट’ मिटटी चिकनी-बलुई होती हैं और उसमें चूना अधिक होता हैं इसकी जलधारण शक्ति अधिक होती हैं. ‘बाजार’ मिटटी चिकनी और बलुई चिकनी दोनों प्रकार की होती हैं. इसमें चूना अपेक्षाकृत कम होता हैं. उत्तरी पश्चिमी भाग में जाने वाली मिटटी में फास्फेट कम होता हैं. जौनपुर, आजमगण मऊ जिलों में पोटाश की कमी हैं. शुष्कतर भागो में ऊसर तथा रह है. अलीगढ़, मैनपुरी, कानपूर, सीतापुर, उन्नाव, एटा, इटावा, रायरबरेली और लखनऊ की मिटटी ऊसर तथा रह से प्रभावित हैं.
प्रदेश के झांसी तथा चित्रकूट धाम मंडल, मिर्जापुर, सोनभद्र जिले एवं इलाहबाद की करछना व् मजा तहसील, वाराणसी की चकिया तहसील में मिश्रित लाल और काली मिटटी पाई जाती हैं. काली मिटटी चिपचिपी तथा कैलकेरिया युक्त और उर्वरा होती हैं. भीगने पर फैलती हैं और सूखने पर सिकुड़ती हैं. इन जिलों के उपरी पठारी भागो में लाल मिटटी पाई जाती हैं. यहाँ दो प्रकार की होती हैं ‘परवा’ और ‘राकर’. परवा हलकी बलुई अथवा बलुई चिकनी होती हैं. जबकि राकर अपक्षरित मिटटी होती हैं.