Municipal Corporation in Hindi
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प्रारम्भ में चेन्नई, मुंबई तथा कलकत्ता जैसे भारत के बड़े महानगरों में उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक नगर निगम की स्थापना की जा चुकी थी किन्तु बाद में और भी बहुत से नगरों में नगर निगम स्थापित किए गए| दिल्ली में संसद के एक अधिनियम के आधार पर 1958 में नगर निगम की स्थापना की गई| उत्तर प्रदेश में एक अधिनियम के अंतर्गत पांच नगरों (कानपूर, इलाहाबाद, वाराणसी, आगरा तथा लखनऊ) में नगर निगम कार्य कर रहे है| इसी प्रकार मध्य प्रदेश के जबलपुर, ग्वालियर तथा इंदौर और बिहार के पटना आदि नगरों में नगर निगम स्थापित हो चुके है| इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों के अनेक बड़े तथा महत्वपूर्ण नगरों में इनकी स्थापना की गई है| साधारणत: अधिक जनसँख्या वाले नगरों में नगर निगम स्थापित किए जाते है| भारत में 1998 के शुरुआत तक कुल 73 नगर निगम स्थापित हो चुके है|
नगर निगमों की स्थापना का यह कर्ण है की बड़े-बड़े नगरों की समस्याएँ भिन्न प्रकार की होती है और नगरपालिकाओं के पास सिमित शक्तियां होती है और उन सिमित शक्तियों द्वारा वहां की स्थानीय समस्याओं को संतोषजनक रूप में नगरपालिकाएं हल नहीं कर पति| अत: अधिक शक्तिशाली तथा अधिक आय के साधनों वाले नगरों में नगर निगमों की स्थापना की जाती है| राज्य में भी अधिक जनसँख्या वाले तथा महतवपूर्ण नगरों से ही नगर निगम की स्थापना की जाती है|
संगठन (Composition) – नगर निगमों की अधिकतम सदस्य संख्या पहले से निश्चित होती है| इनमें वरिष्ठ सदस्य (Aldermen) भी सम्मिलित होते है| अनुसूचित जातियों के लिए भी उनकी जनसँख्या के आधार पर संख्या निश्चित की जाती है|
नगर निगमों का चुनाव पांच वर्षो के लिए होते है नगर के सभी वयस्क जिनका नाम मतदाता सूचि में होते हिया, मत देने के लिए योग्य होते है सभासदों (Councillors) के निर्वाचन के पश्चात् सभासद पूर्व निश्चित संख्या में वरिष्ठ सदस्यों महापौर तथा उपमहापौर (Depury Mayor) को चुनते है इनका चुनाव साधारणत: एकल संकर्मणीय मत प्रणाली (SIngle Transferable Vote System) के आधार पर होता है|
निगमों का प्रशासन (Administration of Corporations)– महापुर की सहायता के लिए निगमों में तीन संस्थाए होती है – 1) सामान्य परिषद, 2) स्थायी समितियां, 3) निगमायुक्त
सामान्य परिषद – जनता द्वारा निर्वाचित निगमों के सभासद तथा इन सदस्यों द्वारा निर्वाचित निगमों के वरिष्ठ सदस्यों को मिलकर सामने परिषद् बनती है परिषद् निगमायुक्त (Muncipal Commissioner) के अतिरिक्त अन्य सभी अधिकारियों की नियुक्ति करती है सामान्य परिषद् निगम क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं पर विचार करती है और अन्य समितियों को कार्य सौंपती है| 74वें संविधान संशोधन अधिनियम में नगरीय स्वशासन संस्थाओं में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए 1/3 स्थान आरक्षित है| अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित स्थानों में 1/3 स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित है|
स्थायी समितियां – समितियों में कार्यकारणी तथा विकास समिति बहुत प्रमुख होते है उपमहापौर इन दोनों समितियों का पड़ें अध्यक्ष होते है सामान्यतया करारोपण व् वित्त, इंजीनियरिंग व् निर्माण कार्य सम्बन्धी बजट सबंधी, स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात, विद्दयुत, जल प्रदाय, मॉल निष्कासन आदि विषयों के लिए भी समितियां गठित की जाती है| इन समितियों के सदस्य संख्या अलग-अलग निगमों में अलग-अलग होती है|
निगमायुक्त – राज्य सरकार द्वारा नियुक्त निगमायुक्त प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी होता है राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के निगमायुक्त की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है यह निगम के अधिकारीयों में कार्य विभाजन करता है| उनके कार्यों की देखभाल करता है सामान्य परिषद् 3/5 के बहुमत से इसे अपदस्थ करने की सिफारिश राज्य सरकार से कर सकती है|
दिल्ली नगर निगम – Delhi Muncipal Corporation in Hindi
सितम्बर, 1957 में दिल्ली में नगर निगम स्थापित किए जाने के उद्देश्य से एक विधेयक संसद में प्रस्तावित किया गया जहाँ काफी वाद-विवाद के पश्व्हत इसे पारित कर दिया गया| इस अधिनियम के आधार पर मार्च , 1958 में निगम का पहला निर्वाचन संपन्न हुआ और अप्रैल, 1958 में निगम की स्थापना हो गई|
निगम की रचना – नगर निगम के जनता द्वारा निर्वाचित सदस्यों की अधिकतम संख्या 100 रखी गई थी| ये निर्वाचित प्रतिनिधि 6 सदस्यों को चुनते थे| इस प्रकार निगम की कुल सदस्य संख्या 106 थी| वयस्क महाधिकार के आधार पर चुने गए सदस्य पार्षद कहलाते है और पार्षदों द्वारा चुने गए सदस्य वरिष्ठ सदस्य कहलाते है| राजनितिक दलों के सर्वमान्य नेता तथा योग्य व् कुशल प्रसासक जो सीधे चुनाव लड़ना पसंद नहीं करते है उन्हें वरिष्ठ सदस्य के रूप में चुन लिया जाता है|
74वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा निर्वाचित सदस्यों की संख्या बड़ा कर 134 कर दी गई | इनमें 36 स्थान महिलाओं तथा 36 स्थान महिलाओं तथा 25 स्थान अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है| अनुसूचित जातियों के लिए अरक्षित स्थानों में से भी 1/3 शान महिलाओं के लिए रखे गए इसके अतिरिक्त दस वरिष्ठ दस्यों को उप-राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है इस प्रकार नै व्यवस्था में दिल्ली नगर निगम के कुल 144 सदस्य होते है|
नई व्यवस्था में नगर निगम के चुनाव प्रति पांच वर्ष के पश्चात् होना निश्चित हुआ है यदि किसी कारण से नगर निगम को भंग करना पड़े तो नए नगर निगम के गठन के लिए छ: मॉस के अंदर चुनाव कराना होता है| चुनावो की व्यवस्था राज्य चुनाव आयोग करता है | उपरोक्त चुनावों में कांग्रेस को दो-तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ|