Officers of Municipal Corporation in Hindi

नगर निगम के अधिकारी (Officers of Corporation) – नगर निगम के अनेक अधिकारी है जो निगम का प्रशासन चलते है | इनमें से प्रमुख अधिकारियों का वर्णन निचे किया गया है-

महापौर तथा उप-महापौर (Mayor and Deputy Mayor)– नगर निगम के समस्त सदस्य अपनी पहली बैठक में एक महापौर तथा उप-महापौर का निर्वाचन करते है| ये अधिकारी प्रतिवर्ष निर्वाचित होते है| परन्तु इन्हें एक वर्ष के बाद पुन: निर्वाचित करते है| ये अधिकारी प्रतिवर्ष निर्वाचित होते है| परन्तु एक वर्ष के बाद पुन:निर्वाचित किया जाता सकता है| महापौर अध्यक्ष के रूप में निगम की बैठकों का सभापतित्व करता है और निगम के सदस्यों के प्रति उत्तरदायी होता है उसका पद अत्यंत सम्मानित होता है| वह नगर के प्रथम नागरिक कहलाता है और विशिष्ट विदेशी अतिथियों का स्वागत करता है| इसके अतिरिक्त महापौर राज्य सरकार और निगम के मध्य एक कड़ी का कार्य करता है| महापौर की अनुपस्थिति में उप-महापौर उसके कार्यों का संपादन करता है| महापौर , निगमायुक्त द्वारा दी गई प्रशासनिक रिपोर्ट को जानकारी के लिए परिषद् के सम्मुख भी रखता है|

प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी – निगम के दैनिक कार्यों के संपादन का भार एक प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा गया है जिसे आयुक्त या कमिश्नर कहा जाता है| कमिश्नर निगम के साधारणत: सभी अधिकारियों के उपर होता है और सब अधिकारियों को उसकी आज्ञाओं का पालन करना होता है वह उनमें कार्य-विभाजन भी करता है| कमिश्नर की नियुक्ति केन्द्रीय ग्रेह्मंत्री के द्वारा सामान्यतया पांच वर्ष के लिए की जाती है और आवश्यकतानुसार इस अवधि को घटाया व् बढाया भी जा सकता है केंद्र सरकार उसे वापिस बुला सकती है और निगम अपनी बैठक में 3/5 के बहुमत में कमिश्नर के विरुद्ध प्रस्ताव पारित करके उसे हटाने की सिफारिश कर सकता है| उसे मकान, वाहन भत्ता तथा अन्य सुविधाए प्राप्त होती है| कमिश्नर को वेतन नगर निगम के कोष से दिया जाता है और उसकी सहायता के लिए दो उपायुक्त होते है| वह नगर-निगम के सदस्यों को कार्य सम्बन्धी विवरण एवं महापौर को शासन सम्बन्धी विवरण होता है –

निगम आयुक्त के प्रमुख कर्तव्य निम्न प्रकार है-

  • वह विभिन्न अधिकारियों और निकायों के कर्तव्य निर्धारित करता है और उनके कार्यों को देखता है|
  • वह नगर निगम और उसकी स्थायी समितियों की बैठकों मे भाग लेता है| वह निगम द्वारा बनाए गए सभी नियमो को लागू कराता है और अनेक नियुक्तियां भी करता है|
  • उसका दायित्व है की वह समय-समय पर नगर निगम को अपने कार्यों का विवरण देता रहे| नगर निगम के सदस्य जो भी जानकारी प्राप्त करना चाहें उन्हें उपलब्ध कराना निगम आयुक्त का कर्तव्य है|
  • निगम के बजट को तैयार करना भी उसका कर्तव्य है|
  • आयुक्त निगम के प्रशासन के दैनिक गतिविधियों के लिए भी उत्तरदायी है|

मुख्य प्रबंधकर्ता बिजली संस्थान – मुख्य प्रबंधकर्ता बिजली संस्थान को केंद्र सरकार नियुक्त करती है| यह नियुक्ति पांच वर्ष के लिए होती है और आवश्यकतानुसार इस अवधि को एक बार में एक वर्ष तक बढाया जा सकता है| बिजली संस्थान का मुख्य प्रबंधकर्त्ता अपने क्षेत्र में स्वतंत्र होता है| यदि निगम की बैठक में एक विशेष बहुमत से यह प्रस्ताव पारित हो जाए की मुख्य प्रबन्धकर्त्ता बिजली संसथान अपने उत्तरदायित्व का पूर्ण निर्वाह नहीं कर पा रहा है तो केंद्र सरकार उसे पद से हटा देती है| उसका वेतन भत्ते निगम के कोष से ही दिए जाते है.

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