सिंड्रेला की कहानी बच्चो के लिए
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बहुत समय पहले की बात है, किसी शहर में सिंड्रेला नाम की एक सुन्दर लड़की रहती है, जो बहुत बद्धिमान और दयालु लड़की थी। सिंड्रेला की मां उसके बचपन में ही उसे छोड़कर भगवान् के पास चली गई थी। जिसके बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। अब सिंड्रेला अपने पिता, सोतैली मां और सोतेली बहनो के साथ रहती थी। सिंड्रेला को उसकी सोतेली मां और बहनें बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। सिंड्रेला की सुन्दरता और उसकी समझदारी को देखकर उसकी दोनों सोतेली बहने चिढती थी, क्युकी उन दोनों की शक्ल और अक्ल दोनों ही सही नहीं थी।
एक बार, सिंड्रेला के पिता को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ा। उसके बाद सिंड्रेला की सोतेली माँ और बहनों ने सिंड्रेला के साथ बुरा बर्ताव करना चालू कर दिया। पहले तो सिंड्रेला के खुबसूरत कपडें उतरवाकर उसे नौकरानियों जैसे कपडें पहनाएं फिर बाद में उससे नौकरानी जैसा कार्य कराने लगे।
सिंड्रेला से वो बर्तन धुलते, खाना बनवाते, कपडे धुलवाते और अन्य सभी घर के काम करवाते। इसके अलावा उन तीनों ने सिंड्रेला के कमरे को भी छीन लिया और उसे बाहर घर के एक स्टोर रूम में रहने के लिए बोल दिया। सिंड्रेला के पास उनकी बातें मानने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था। जहाँ सिंड्रेला रहती थी, उसके आसपास पंक्षी और स्टोर रूम के चूहों के अलवा उसका कोई और मित्र नहीं था। वो दिन भर घर का काम करती और रात में अपने दोस्तों से बातें करती-करती सो जाती।
जिस शहर में सिंड्रेला रहती थी, वहां के राजकुमार के मंत्रियों ने शहर में घोषणा कर दी थी, की राजकुमार की शादी के लिए महल में एक आयोजन करवा रहे है। इस समारोह में विवाह के लिए उन्होंने नगरों की सभी सुन्दर लड़कियों को आमंत्रित किया है। सिंड्रेला की बहनों ने जब राजा के सिपाहियों द्वारा कही यह बात सुनी, तो वह तेजी से दौड़े-दौड़े अपनी माँ के पास आईं और सारी बात बता दी। मां ने यह बात सुनकर कहाँ की इस समारोह में सबसे सुन्दर तुम दोनों ही लगोगी और राजकुमार तुममे से किसी एक से ही शादी करेगा।
यह बात सिंड्रेला ने भी सुन ली थी, की राजकुमार ने समारोह में विवाह योग्य सुन्दर लड़कियों को आमंत्रित किया है। अब सिंड्रेला के मन में भी इस समारोह में जाने की इच्छा हुई। परन्तु सौतेली मां का बर्ताव वह जानती थी, की वह उसे इस समारोह में जाने नहीं देगी। इस बारे में बात करने से वह बहुत डर रही थी।
सिंड्रेला की सौतेली मां और बहनों ने समारोह में जाने की तैयारी करने लगी। उन्होंने नए सुन्दर कपडें सिलवाए , जूते, आभूषण भी ख़रीदे और राजकुमार से कैसे बात करेंगी इसका वह दोनों अभ्यास करने लगी.
आखिरकार समारोह का समय आ ही गया। दोनों बहने बहुत उत्साहित होने लगी। उन दोनों ने सुबह से ही इस समारोह में जाने की तैयारी शुरू कर दी। इसमें सिंड्रेला ने भी उनकी सहायता की। अपनी दोनों सौतेली बहनों को तैयार करने के बाद सिंड्रेला ने बड़ी हिम्मत से अपनी सौतेली मां से समारोह में जाने की बात कही, की मां अब में भी विवाह योग्य हो गई हूँ, क्या में भी इस समारोह में जुड़ सकती हूँ?. सिंड्रेला की यह बात सुनकर तीनों तेजी से हंसने लगी और कहाँ की राजकुमार को नौकरानी नहीं पत्नी चाहिए। यह कहकर तीनों वहां से चली गई।
उन तीनों के जाने के बाद, सिंड्रेला बहुत उदास हो गई और रोने लगी तभी उस समय वहां एक सुन्दर परी प्रकट हुई। परी सिंड्रेला के पास आई और कहाँ मेरी प्यारी सिंड्रेला मुझे मालुम तुम क्यों उदास हो। परन्तु तुम उदास मत हो क्यूंकि तुम भी इस समारोह में जरुर जाओगी। इसके लिए मुझे तुमसे एक कद्दू और पांच चूहों चाहिए।
सिंड्रेला ने वैसा ही किया जैसा परी ने कहा वो अपने किचन से एक बड़ा कद्दू और अपने स्टोर रूम से पांच चूहों ले आई, और पारी को दे दिए। फिर परी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और बड़े कद्दू को एक रथ में बदल दिया और पांच चूहों को सुन्दर सफ़ेद घोड़ों में रथ चलाने के लिए।
यह सब चमत्कार देख सिंड्रेला हैरान हो गई। इससे पहले सिंड्रेला कुछ कह पाती परी ने अपनी जादुई छड़ी से सिंड्रेला को फिर से एक खुबसूरत राजकुमारी की तरह सजा दिया। उसके शारीर पर चमचमाते कपडें, पैरों में सुन्दर जुती, सिर पर हीरो का ताज और गले में आभूषण। अब वह समारोह में जाने के लिए फूली नहीं समा रही थी।
अब परी ने सिंड्रेला से कहाँ की, अब तुम बिल्कुल तैयार हो और समारोह में जा सकती हो। परन्तु रात 12 बजे से पहले तुम वापस आ जाना क्यूंकि 12 बजे के बाद मेरा जादू समाप्त हो जाएगा और तुम जैसी पहले थी वैसी हो जाओगी। यह सुनकर सिंड्रेला ने परी को धन्यवाद कहाँ और रथ पर बैठकर सिंड्रेला राजकुमार के महल की तरफ निकल पड़ी।
जैसे ही सिंड्रेला महल में पहुंची तो सभी की नजर सिंड्रेला को देख उसपर से हठ नहीं रही थी। सिंड्रेला की सौतेली मां और बहने भी सिंड्रेला को देख रही थी. परन्तु सिंड्रेला को इतनी खुबसूरत देख वे उसे पहचान नहीं पाए। तभी राजकुमार ने सिंड्रेला को देखा और सीड़ियों से निचे उतरने लगे। अब सभी व्यक्ति राजकुमार की तरफ देख रहे थे। समारोह में उपस्थित कई सुन्दरियों के पास ना जाकर सबसे पहले राजकुमार सिंड्रेला के पास गए, और उसे देखते रहे। इसके बाद राजकुमार ने सिंड्रेला की और अपना हाथ बढ़ाया और कहा राजकुमारी क्या तुम मेरे साथ डांस करना पसंद करोगी सिंड्रेला ने राजकुमार का हाथ पकड़ लिया और दोनों डांस करने लगे.
सिंड्रेला राजकुमार के साथ डांस करते-करते खो गई थी, और सब कुछ भूल गई थी। अचानक उसकी नजर दीवार पर लगी घड़ी पर पड़ी जिसमे 12 बजने में कुछ भी पल बाकी थी। सिंड्रेला को परी द्वारा कही बात याद आ गई, और घबरा गई अब वह राजकुमार को छोड़ वहां से तेजी से दौड़ पड़ी। सिंड्रेला के अचानक भाग जाने से राजकुमार भी सिंड्रेला के पीछे-पीछे दौड़ा। घबराहट में भागने की वजह से सिंड्रेला की एक जुती उसके पांव से निकल महल के बाग़ में ही छूट गई। सिंड्रेला जल्दी से रथ पर बैठी और अपने स्टोर रूम की और बढ़ गई। राजकुमार भागते-भागते बाहर आए तो देखा सिंड्रेला जा चुकी थी, परन्तु सिंड्रेला का जूता उन्हें मिल गया था। यह देख राजकुमार मन ही मन दुखी हुए और कहाँ वे किसी भी हाल में सिंड्रेला को खोजकर ही रहेंगे.
अगली सुबह राजकुमार ने अपने सैनिकों को आदेश दिया की नगर-नगर जाकर समारोह में आईं हुई सभी लड़कियों के पैर में यह जूता पहनकर देखो। जिसके पैर में यह जूता आ जाए उसे मेरे पास ले आओ। सैनिको ने राजकुमार की आज्ञा का पालन किया। वह शहर में घर-घर गए और समारोह में आईं सभी लड़किओं के पैर में जूता पहना कर देखा। किसी के पैर में जूता छोटा आ रहा तो किसी के पैर में जूता बड़ा। सारा नगर खोजने के बाद सैनिक सिंड्रेला के घर पहुंचे। सिंड्रेला समझ गई थी, की सैनिकों को राजकुमार ने भेजा है। वह खुश हो गई और भागते हुए निचे दरवाजे की और बड़ी।
उसी समय सिंड्रेला की सौतेली मां उसके बीच आ उसका रास्ता रोक लिया। और कहाँ की राजकुमार के सैनिक समारोह में गई हुईं लड़कियों को खोज रहे है. परन्तु तुम कल समारोह में नहीं थी। तो तुम निचे जाकर क्या करोगे। ऐसा कहकर सिंड्रेला को उसकी सौतेली मां ने धक्के मारकर उसके स्टोर रूम में बंद कर दिया और चाबी अपने पास रख ली।
राजकुमार के सैनिक सिंड्रेला की बहनों को जूता पहनाने लगे। परन्तु जूता दोनों में से किसी के भी पैर में फीट नहीं हो पाया। वहीँ, स्टोर रूम में उदास सिंड्रेला रोने लगी। सिंड्रेला को रोते देख उसके चूहे दोस्त को एक उपाय सुझा। चूहा दरवाजे के निचे निकलकर चोरी-छुपे सिंड्रेला की सौतेली माँ के पास से चाबी ले आया और सिंड्रेला को देदी। चाबी मिलते ही सिंड्रेला ने किसी तरह दरवाजा खोल लिया और तेजी से दौड़ती निचे आ गई।
सिपाही अब महल की तरह लौटने लगे तभी सिंड्रेला ने अपनी तेज आवाज से कहाँ, “मुझे भी जूता पहन कर देखना है कृपया रुको। यह सुनकर उसकी सौतेली मां और बहने हंसने लगी, लेकिन सिंड्रेला को सनिकों ने जूता पहनाने का मौका दिया। जैसे ही सिंड्रेला ने जूता अपने पैर में डाला तो वह आसानी से उसके आ गया था। यह देख सभी हैरान हो गए और सैनिकों ने सिंड्रेला से पुछा की क्या यह जूता आपका है? सिंड्रेला ने अपना सिर हिलाते हुए कहाँ हां।
इसके बाद राजकुमार के सैनिकों ने सिंड्रेला को अपनी बग्गी पर बैठाया और महल की और चले पढ़े। महल पहुंचकर सिंड्रेला को देखकर राजकुमार बहुत खुश हुआ, और सिंड्रेला से विवाह का प्रस्ताव रखाफिट सिंड्रेला ने राजकुमार के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिए। राजकुमार और सिंड्रेला की शादी हो गई और वह हमेशा ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।