निरक्षरता पर निबन्ध – Essay On Illiteracy in Hindi
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Illiteracy Essay – यहाँ पर आप निरक्षरता पर निबन्ध (Essay On Illiteracy in Hindi) के सरल उदाहरण प्रकाशित किए गए है.
नीचे दिया गया निरक्षरता निबंध हिंदी में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयुक्त है।
निरक्षरता पर निबंध
भारतीय जनता की दरिद्रता ने जिन कुछ अभिशापों को जन्म दिया है उनमें निरक्षरता प्रमुख अभिशाप है. दरिद्र-परिवारों के छोटे-छोटे बच्चों के सामने जीवित बने रहने का प्रश्न खड़ा रहता है. अत: वे अपनी छोटी आयु में ही कमाने का प्रयास करते है. शिक्षा प्राप्ति उनके व् उनके संरक्षको की दृष्टि में धनवानों का काम है. यघपि संविधान के अनुच्छेद 24 के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को कारखाने में काम करने पर प्रतिबन्ध है परन्तु यह प्रावधान केवल संविधा को सुशोधित करने के अंकित किया हुआ सा प्रतीत होता है. भारत में प्रोढ़ लोगों में तो अशिक्षा भारी संख्या में है, वर्तमान में भी लाखो लोगो निरक्षर है.
भारत में निरक्षरता अभिशाप के रूप में भारतीय जनमानस के विकास के मार्ग को रोके हुए है. निचे कुछ ऐसे उपाय सुझाए गए है जो जिराक्श्र्ता को दूर करने में सहायक हो सकते है-
निरक्षरता को दूर करने के उपाय
निरक्षरता के दुष्परिणामों का तथा साक्षर होने के लाभों का सर्वत्र जबर्दस्त प्रचार किया जाए.
प्रचार के साथ ही यह भी घोषित किया जाए की एक निश्चित अवधि में निरक्षरता को जडमूल ने नष्ट करके देश की सम्पूर्ण जनता को साक्षर बना दिया जाएगा और इस क्षेत्र में सरकार द्वारा लक्ष्य बाँध कर ठोस व् सक्रीय कदम उठाए जाएं.
इसके लिए केंद्र सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान प्रारंभ करने की योजना बनाई है जिसके अंतर्गत यह निश्चित किया गया था की वर्ष 2007 तक सभी 5 वर्षीय बच्चे व् वर्ष 2010 तक सभी 8 वर्षीय बच्चे साक्षर हो जायंगे. यह योजना अखिल भारतीय स्तर पर वर्ष 2003 तक प्रारंभ जाएगा. हम आशा करते है की सरकार की यह घोषणा सफलता प्राप्त करेगी.
वयस्कों के लिए ऐसी शालाओं की व्यवस्था की जाए जो उनके व्यवसायिक क्षेत के निकट-स्थापित हो ताकि उनके काम से छुटने के तुरन्त पश्चात् इन निकटतम विधालयों में उन्हें शिक्षा प्राप्त हो सके.
प्रत्येक संस्थान को (सरकारी व् गैर-सरकारी दोनों) अपने यहाँ कार्य करने वाले लोगों को आवश्यक रूप में साक्षर करने का दायित्व दिया जाए. इसके लिए उनकी सहायता सरकार करे.
महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है एवं महिलावों के लिए मध्यान्ह में विशेष शालाओं की व्यवस्था की जाए.
प्राथमिक से लेकर विश्वविधालय स्तर तक के सभी अध्यापकों की सेवा शर्तो में प्रोढ़ शिक्षा की अतिरिक्त आवश्यक सेवा के रूप में जोड़ा जाए.
स्नातक की डीग्री देने से पूर्व विधार्थियों को कम से कम छ: मॉस का प्रोड़ो की साक्षर बनाने के अध्यापन का अभ्यास आवश्यक बनाया जाए.
समाज सेवी संस्थाओं को इस मार्ग में जुटने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. जो धनि लोग साक्षरता के अभियान में धन लगाए उसे आयकर से मुक्त किया जाए.
निरक्षरता और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते क्योंकि निरक्षरता के कारन व्यक्ति के व्यक्तित्व व् प्रतिभा का विकास नहीं हो पता जो लोकतंत्र के लिए नितांत आवश्यक है. भारतीय समाज अधिकांशत: निरक्षर है, इसी कारण भारतीय लोकतंत्र पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है.
हम जानते है की शिक्षा बुद्धि व् विवेक के विकास में सहायक होती है. शिक्षित व्यक्ति गंभीर समस्याओं को समझने व् उन्हें सुलझने की पात्रता आसानी से अर्जित कर लेता है उसका दृष्टिकोण संकुचित न रह कर धीरे-धीरे विशाल बन जाता है. जाती, धर्म, सम्प्रदाय, क्षेत्रीयता आदि उसके सोचने की परिधि होती है इसके ऊपर उठकर श्रेष्ठ राष्ट्रिय व् मानवीय विचारों को समझना उसके लिए संभव नहीं है जबकि विचारों व् विश्वासों की यही विशालता लोकतंत्र का आधार है. भारतीय लोकतंत्र वास्तव में इस अभिशाप से पीड़ित है.