प्रदूषण पर निबन्ध – Essay On Pollution in Hindi

Pollution Essay – यहाँ पर आप प्रदूषण पर निबन्ध (Essay On Pollution in Hindi) के सरल उदाहरण प्रकाशित किए गए है.

पृथ्वी पर मानव जीवन के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण का पवित्र शुद्ध होना अति आवश्यक है जिससे की मानव को ऑक्सीजन लेने में कोई परेशानी न हो सके. लेकिन पृथ्वी पर मानव द्वारा कुछ कार्य ऐसे हो रहे है जिनसे पृथ्वी की वायु, जल अशुद्ध हो रहे है जिनके कारण कई प्रकार के प्रदुषण फ़ैल रहे है जैसे वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन.

नीचे दिया गया प्रदूषण निबंध हिंदी में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयुक्त है।

प्रदूषण पर निबंध

हमारे वातावरण में अवांछित या हानिकारक तत्वों की उपस्थिति होना प्रदूषण कहलाता है, प्रदूषण फ़ैलाने का कोई एक कारण नहीं बल्कि प्रदुषण कई कारणों से फैलता है जैसे जैसे हवा में धुआं, पानी में गंदगी, तेज आवाज, शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया, मिलावट, कचरा सड़ना आदि प्रदुषण के मुख्य कारक है.

वर्तमान समय में हर क्षेत्र में बढती आबादी और बढ़ते वाहनों की संख्या प्रदुषण का एक मुख्य कारण बना हुआ है वाहनों के धुएं से वायु प्रदुषण और तेज आवाज वाले हॉर्न से ध्वनि प्रदुषण होता है जो मनुष्य के जीवन में बहुत परेशानी पैदा करते है यह समस्या वयस्कों की तुलना में बच्चों के लिए अधिक हानिकारक है।

प्रदूषक कई प्रकार के होते है जिनमें से मुख्य है , वायु प्रदुषण , जल प्रदुषण एवं ध्वनि प्रदुषण.

ध्वनि प्रदुषण:

शहरों एवं क्षेत्रो में बढती वाहनों, फैक्ट्रीज में हैवी मशीनरी, टेलीविजन, रेडियों , डीजे, स्किकर, हॉर्न, बम-पटाखे आदि सभी ध्वनि प्रदुषण होने का मुख्य कारण है, जिनकी तेज आवाज सुनने से हमारे कानो को तकलीफ पहुँचती हैं और इनकी आवाज से छोटे बच्चो , बुजुर्ग लोग
जल्दी जल्दी प्रभावित होते है जिससे की बहरेपन, हृदयघात . चिढचिढ़ापण और तनाव जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है.

जल प्रदुषण:

नदी-नालो, तालाब, समुद्र आदि में कचरे जैसी वस्तुएं फैंकना या फिर उन्हें जमीन में गाड़ना आदि जल को दूषित करता है और वर्तमान में जल प्रदुषण में दुनिया में जबरदस्त वृद्धि पर है। जिसके कारण डेंगू, निमोनिया, छोलेरा, टाइफाइड एवं डिसेंट्री आदि जैसी गंभीर बीमारियाँ पनपती है.

वायु प्रदुषण –

हमारे वायुमंडल में अशुद्ध गैसों का वायु में सम्मिलित हो जाना वायुप्रदुषण का मुख्य कारण है जिससे मनुष्य के जीवन में श्वास लेना कठिन हो जाता है वायु प्रदुषण फैलने का मुख्य कारण , वाहनों , कारखानों तंबाकू का धुँआ, परिवहन उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन जलाना एवं गंदे जलते कचरे से निकलने वाला धुंआ है एवं धूल के कण, गंध वायु को गंदा करते हैं और वायु प्रदूषण का परिणाम होता है जो मनुष्यों, जानवरों और पौधों के लिए हानिकारक है।

प्रदूषित वायु, जल एवं ध्वनि के कारण हमारे विकासशील अंग और प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है जिसके कारण कारण मनुष्य की दिनों-दिन बीमारी की संख्या बढती जाती हैं, निमोनिया, मलेरिया, डायरिया, अस्थमा सबसे आम बीमारी है जो हमारे शारीर में प्रदूषित हवा और पानी के कारण उत्पन्न होती हैं।

जैसा की हम सभी जानते है वायु एवं जल मानव जीवन का आवश्यक पहलु है, लेकिन अधिकतर व्यक्ति इन तर्कों को भूल जाते है और इनको प्रदूषित करने में भागीदार होते है. हम सभी के पास प्रदुषण को रोकने के लिए बहुत से तरीके है लेकिन हम इसे बहुत हल्के में लेते हैं और स्वार्थी बने रहते हैं. आने वाली पीड़ी के लिए जल और पर्यावरण को बचाना हमारा कर्तव्य है इसलिए हमें समझदारी से काम लेना होगा और हमारे जल एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए कुछ उपयोगी कदम उठाने होंगे।

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Essay on Pollution in Hindi 400 Words

प्रदूषण का अर्थ

व्यक्ति को प्रकृति द्वारा दी गई शुद्ध वायु, जल में अशुद्धता फैलना एवं शांत वातावरण में ध्वनि का बढ़ना. प्रदुषण के मुख्य प्रकार है – वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण।

वायु-प्रदूषण

महानगरों एवं शहरों में वायु प्रदुषण अधिक फैला हुआ है. कई-कई घंटों पर बड़े कारखानों और मोटर-वाहनों का काला धुआं वायु में मिलना इसके अलावा जंगलों में आग लगना, रबर के टायर और प्लास्टिक जैसे पदार्थ को जलने से निकलने वाला धुआं वायु प्रदुषण का मुख्य कारण होता है. जिनसे व्यक्ति को ऑक्सीजन लेने में दिक्कत होती है. यह धुआं मनुष्यों के फेफड़ो में में चले जाते है जिससे अनेक प्रकार के सांस सम्बंधित रोग पैदा हो जाते है.

दिन प्रतिदिन सड़कों पर वाहनों की संख्या का बढ़ना जिससे सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड हानिकारक गैस उत्पन्न होती है. ये खतरनाक गेसें हमारे वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देती है जिससे व्यक्ति को सांस लेने में समस्याएँ पैदा होती है.

जल-प्रदूषण

उघोगो, कारखानों एवं घरों के गंदे कचरे को पानी को नदियों एवं समुद्रों में मिलना जल-प्रदुषण पैदा करता है. जिसे कारण जल दूषित होता है. जल-प्रदूषित होने से मनुष्य के शारीर में कई तरह की खरनाक बीमारियाँ उत्पन्न होती है जैसे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग.

ध्वनि-प्रदूषण

शांत वातावरण में रहना हर मनुष्य को अच्छा लगता है. परन्तु आजकल बड़े-बड़े मोटर वाहनों, लाउड स्पीकरो एवं कारखानों के मशीनों की तेज शोर से ध्वनि प्रदुषण फैलता है जिससे मनुष्य को बोलने एवं सुनने में दिक्कते पैदा होती है एवं तेज ध्वनि के कारण बहरेपन और मानशिक तनाव जैसे रोग जन्म लेते है.

मृदा प्रदूषण

मिट्टी से से सभी के लिए भोजन की प्राप्ति होती है. परन्तु अनाज, फल सब्जी को तेजी से विकसित करने के लिए अनेक तरह के शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान रासायनिक यौगिकों उपयोग करते है जिसके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है जिसके वजह से फलो एवं सब्जियों में मनुष्यों को उर्जा देने वाली कम हो जाती है.

प्रदुषण किसी भी तरह का हो इसको ख़त्म करने के लिए जिम्मेदारी सिर्फ मनुष्यों की है. इसके लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं जिससे हरियाली एवं शुद्ध ऑक्सीजन की मात्रा अधिक हो सके. अधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्र की में बड़े-बड़े कारखानों को की संख्या को थोड़ा कम करना. पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहनों की संख्या को कमी करना और दूषित पानी को नदी, एवं समुद्रो में मिलने रोकना आदि प्रदुषण को कम कर सकते है जिससे मानव पृथ्वी पर कई समय तक जीवन जी सकता है.

प्रदुषण पर निबंध 550 शब्दों में (कारण, बचाव)

हमारे चारों ओर का जो वातावरण है उस पर ही हमारा शारीरिक और मानशिक स्वस्थ्य निर्भर करता है। इसलिए हमें इसे हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। जब इस वातावरण में कुछ गन्दगी या अपशिष्ट पदार्थ मिल जाते हैं तो यह प्रदूषित हो जाता है। इसे ही प्रदुषण कहा जाता है। प्रदुषण का अर्थ है, किसी भी शुद्ध पदार्थ में अशुद्ध पदार्थों का मिश्रण।

प्रथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए प्रकृति ने हमें कई संसाधन प्रदान किये हैं। वायु, जल, तथा मिटटी उनमें मुख्य घटक हैं। वायु के बिना हम सांस नहीं ले सकते, जल के बिना हम जीवित नहीं रह सकते, और मिटटी के बिना हम खेती नहीं कर सकते और हम जो भी भोज्य पदार्थ खाते हैं बे सब मिटटी में ही उगते हैं। तो यदि देखा जाये तो इन तीनों संसाधनों के बिना प्रथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं कि जा सकती। परन्तु हमने इन्हें ही अत्यधिक प्रदूषित कर दिया है।

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प्रदुषण के कारण
प्रथ्वी पर 71% भाग पर जल है। परन्तु हम उस को पी नहीं सकते और न ही उसका उपयोग सिंचाई आदि के लिए किया जा सकता है। पीने अथवा सिंचाई आदि के लिए उपयोगी जल इस प्रथ्वी पर केवल 1% ही है और हम उसे भी प्रदूषित करते जा रहे हैं। आज लगभग सभी नदियाँ प्रदूषित हो चुकी हैं। आज शहरों के बड़े बड़े गंदे नाले सीधे ही नदियों में छोड़ दिए जाते हैं साथ ही कारखानों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट को भी सीधे नदियों में छोड़ दिया जाता है। जिससे उनका पानी विषैला हो रहा है।

इसीप्रकार वायु में भी वाहनों और कारखानों से निकला धुंआ मिलने से वायु प्रदूषित होती जा रही है। जिससे ग्लोवल वार्मिंग बदने का बदती जा रही है साथ ही ओजोन परत को भी नुक्सान हो रहा है।

आज अधिक उपज प्राप्त करने के लिए किसान खेतों में रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों का प्रयोग बहुतायत में कर रहे हैं। जिससे उत्पादन में तो वृद्दि हो रही है परन्तु भूमि कि उर्वरा शक्ति भी कम होती जा रही है। साथ ही इसके अत्यधिक प्रयोग से भूमि बंजर भी हो जाती है। जिसमें दोबारा खेती नहीं कि जा सकती। इसे ही मृदा प्रदुषण कहा जाता है।

इसके अलावा आज लाउड स्पीकरों, वाहनों और कारखानों से निकलने वाली तेज़ ध्वनि तरंगों से ध्वनि प्रदुषण में भी वृद्धि होती जा रही है। जिससे बहरापन तथा मानसिक रोगों में वृद्धि हो रही है।

प्रदुषण से बचाव
आज प्रदुषण अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया है। इसलिए इसे रोकना भी उतना ही कठिन होता जा रहा है और यदि इसे अभी नहीं रोका गया तो यह मानव जाती के पतन का मुख्य कारण होगा। वायु प्रदुषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत वाहनों का प्रयोग जितना हो सके कम करना चाहिए और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग करना चाहिए। CNG से चलने बाले बहनों का उपयोग करना चाहिए साथ ही अभी बिजली से चलने वाले वहां भी आने शुरू हो गए हैं तो उनका प्रयोग करना चाहिए, कारखानों से निकलने वाले धुंए को उचित उपचारित करने बाद बहार छोड़ना चाहिए जिससे प्रदुषण कम हो।

कारखानों से निकले जल को भी उपचारित करने के बाद ही बहार छोड़ना चाहिए उसे सीधे ही जल श्रोतों में छोड़ने से शुद्ध जल प्रदुषित होता है।

प्रदुषण का एक मुख्य कारण वनों की कटाई है। जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता जा रहा है। उसी के साथ वन क्षेत्र भी साफ़ होते जा रहे हैं। पेड़ सभी प्रकार के प्रदुषण को रोकने में में सक्क्षम होते हैं। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध (500 शब्दों में)

प्रस्तावना

आज के समय में देखा जाये प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से झूझ रहा है। जिसमे ब्लड प्रेसर, शुगर, हार्ट कि बीमारियाँ तो अत्यधिक देखी जा रही हैं। इसका सीधा सम्बन्ध प्रदूषण से है। आज हम जो भी खाना खा रहे हैं या जो हवा हम सांस के रूप में ले रहे हैं, वो सब प्रदूषित हैं। यहीकारण है कि हमारे पूर्वज अधिक स्वस्थ्य और शारीरिक तौर पर अधिक मजबूत हुआ करते थे। जो कि आज हम नहीं हैं और ये सब हमारे द्वारा ही किया गया है।

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प्रदूषण क्या है?

प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, वायु इत्यादि में कुछ अवांछनीय और गंदे पदार्थों के मिश्रण को प्रदूषण कहते हैं। आज के समय में पेड़ – पौधे अधिक मात्र में कटे जा रहे हैं जिससे प्रदूषण और भी बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण का मुख्य कारण मानव स्वयं ही है और इसके दुष्प्रभाव भयंकर होते जा रहे हैं। जिसका सबसे तजा उदाहरण कोरोना महामारी से तो सभी परिचित ही हैं इसका मुख्य कारण प्रदूषण ही है।

प्रदूषण के प्रकार–प्रदूषण मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-

  1. जल प्रदूषण
  2. वायु प्रदुषण
  3. ध्वनि प्रदूषण
  4. मृदा प्रदुषण

जल प्रदूषण

जब मानव द्वारा उपयोग किया हुआ प्रदूषित जल अथवा उद्योग अदि से निकला रासानिक पदार्थ युक्त जल प्राकृतिक स्त्रोतों मिलता है तो वह जल प्रदूषित हो जाता है। इसी प्रक्रिया को जल प्रदूषण कहा जाता है। हमारी प्रथ्वी पर 71% भाग पर जल है परन्तु उसमे से सिर्फ 1% ही हमारे पिने के योग्य है और हम उसे भी प्रदूषित करते जा रहे हैं। इस प्रकार एक दिन ऐसा आयेगा कि प्रथ्वी पर पिने योग्य पनिओ नहीं मिलेगा, तो हमारा प्रथम कर्त्तव्य है कि हम इसे प्रदूषित होने से बचाएं।

वायु प्रदुषण

वायु में दूषित गैसों का मिश्रण वायु प्रदूषण है। हमारे उद्योगों, वाहनों इत्यादि से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषित होती है और फिर यही प्रदूषित वायु हम स्वास के रूप में ग्रहण करते हैं जिससे हमें दमा, अस्थमा अदि भयानक रोग हो सकते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकना अनिवार्य है। जिसके लिए हमें उचित कदम उठाने चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण

किसी भी मानव के कान 20 हर्ट्स से लेकर 20000 हर्ट्स कि ध्वनि को सुन सकते है। यदि ये तीव्रता अधिक हो तो हम बहरेपन के शिकार हो सकते हैं। अत्यधिक तीव्र ध्वनि में लाउडस्पीकर आदि बजने या वाहनों वा, कारखानों आदि से निकलने वाला अनावश्यक शोर ध्वनि प्रदुषण कहलाता है। इससे इन्सान बहरे होने के अलावा मानसिक बिमारियों का शिकार भी हो सकता है। अतः इन सब पर प्रतिबन्ध लगाना अति आवश्यक है।

मृदा प्रदुषण

मृदा में पैदावार बढ़ने के लिए रासायनिक खाद व उर्वरकों के प्रयोग से मृदा की उर्वरता कम होती है। साथ ही प्लास्टिक आदि को जमीन में फैंक देने से भी मृदा प्रदुषण होता है। मृदा में लगातार प्रदुषण से वह जमीन बंजर हो जाती है जिसमें दोबारा खेती नहीं की जा सकती है। इसलिए कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करने के लिए मृदा प्रदुषण को रोकना अनिवार्य है।

उपसंहार

आज जिस प्रकार शहरीकरण में वृद्धि हो रही है उसी तेजी से प्रदुषण में भी वृद्धि होती जा रही है। जिसे यदि जल्द ही न रोका जाये तो इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं और यह मानव जाती के अस्तित्वा के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए सरकारों के साथ – साथ जन सामान्य को भी इसके प्रति जागरूक होना चाहिए और अपने आस – पास साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिये।

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