भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप पर निबन्ध – Essay On Unique form of Indian culture in Hindi

Unique form of Indian culture Essay – यहाँ पर आप भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप पर निबन्ध (Essay On Unique form of Indian culture in Hindi) के सरल उदाहरण प्रकाशित किए गए है.

नीचे दिया गया भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप निबंध हिंदी में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयुक्त है।

भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप पर निबंध

हमारा भारत देश आदिकाल से ही विविध संस्कृति और सभ्यताओं का अनूठा केंद्र रहा है और विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में भी भारत का प्रथम स्थान रहा है हमारा भारत संसार का एक प्राचीनतम विशाल देश है इस भारत की पवित्र भूमि पर एक से बढ़कर एक ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया और यहां के वनों नदी तटों गुफाओं कंदराओं आदि में बैठकर ज्ञान प्राप्त किया था उसी ज्ञान रूपी दीपक के प्रकार से भारतीय संस्कृति का मार्ग आज भी उज्जवल एवं प्रकाशित है विभिन्न संस्कृतियों का संबंध मानव की आत्मा वामन से परिपथ होता है और हमारी भारतीय संस्कृति का मूल आवेश आत्मा का ज्ञान ही है इसमें संसार के भौतिक एवं परिवर्तनशील तत्वों के प्रति तनिक मोह नहीं है और देशों में होने वाले धार्मिक आंदोलनों ने इस संस्कृति को और भी अधिक उदार बनाया है तथा सभी धर्मों एवं संप्रदायों को एक साथ लेकर चलना और पूरे देश को एक मानना हमारे भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है इन्हीं कारणों बस हमारे पूर्वजों द्वारा लिखित वेद उपनिषद रामायण महाभारत गीता आदि सभी ग्रंथ विश्व के सभी देशों में एक समान पूजे जाते हैं.

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का संपूर्ण देशों में प्रभाव होना इसका एक सापेक्ष प्रमाण है.

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महर्षि व्यास जी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अठारह पुराणों में दो ही बातें प्रमुखता कही है परोपकार करना ही पुण्य है और दूसरों को पीड़ा देना ही पाप है पाप कर्म करना निषेध किया गया है और भारतीय संस्कृति में चार तो तभी तो महान हैं चरित्र , विज्ञान , साहित्य , धर्म,

1). चरित्र – मनुष्य को सभी प्रकार से ईमानदार तथा पवित्र होना चाहिए.

2). विज्ञान – अर्थात आत्मा का ज्ञान ही विशेष ज्ञान है.

3). साहित्य – संपूर्ण देश भर में भिन्न भिन्न प्रकार से रचित भिन्न-भिन्न कृतियां एवं सभी विषयों का ग्रंथ समूह साहित्य कहलाता है.

4). धर्म – भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र धर्म को माना गया है धर्म को लौकिक अभ्युदय और मौज देने वाला कहा गया है.

अगर 19वीं और 20वीं सदी में धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो हमारी भारतीय संस्कृति ने पश्चिम देशों को अधिक प्रभावित किया है आज के समय में भी भारतीय संस्कृति का धार्मिक और दार्शनिक स्वरूप विदेशियों को अत्यधिक प्रभावित कर रहा हैविश्व के सभी पश्चिमी और पूर्वी देश भारतीय संस्कृति की महत्ता के सामने नतमस्तक है । शान्ति की खोज में अनेक विदेशी लोग यहाँ आते रहते हैं।

संसार का कोई भी देश संस्कृति के बिना जीवित नहीं रह सकता । भारत संसार का सबसे प्राचीन देश है। इसकी अपनी संस्कृति विश्व – मानवता को सुख देने की है। यहाँ पर सभी को सुखी और निरोगी देखने की प्रतिदिन प्रार्थना की जाती है. और हमारे भारतीय धर्म ग्रंथों में विभिन्न प्रकार के औषधियों का वर्णन भी मिलता है और भांति भांति के रोगों के लिए अनेकों औषधियों का वर्णन मिलता है

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सर्वे भवन्तु सुखीन: सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग भवेता।

अतः कहा जा सकता है कि भारतीय संस्कृति की एक गौरवशाली परम्परा आज भी विद्यमान है। जिस पर हमें गर्व है। और हम इस परंपरा को आगे इसी भांति विद्यमान रखेंगे.

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