जरुर जाने:- चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े लोगो के सवाल और जवाब

जरुर जाने:- चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े लोगो के सवाल और जवाब

आज पूरी भारत ही नहीं विश्व भी भारत के चंद्रयान-3 मिशन को देख रहा है. यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि भारत ने आज अपने चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड करा दिया है. विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के साथ भारत दुनिया में ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है.

चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े लोगो के सवाल और जवाब

अब से पहले कौन से देश अब तक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल हुए है?

अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ (जिसे अब रूस कहा जाता है) ने पहले चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफलता प्राप्त की है. अब इस सूची में भारत भी शामिल हो गया है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन गया है.

अब से पहले कौन से देश अब तक चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करा चुके है?

अब तक किसी भी देश को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई भी सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता नहीं मिली थी. भारत के पिछले मिशन, चंद्रयान-2, लैंडिंग में सफल नहीं हो पाया था. लेकिन भारत ने इतिहास रचते हुए यह मील का पार कर लिया है.

देश के चंद्रयान-3 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कौन है?

चंद्रयान-3 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल है, उन्होंने वर्ष 2019 में चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद की कमान संभाली. उससे पहले वह इसरो के स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक के पद पर अपनी सेवाएँ देने में लगे रहे हैं. पी वीरमुथुवेल ने चंद्रयान-2 मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे तमिलनाडु के विल्लुपुरम से हैं और उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) से अपनी पढ़ाई की है.

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इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को विक्रम नाम क्यों दिया?

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रारंभकर्ता विक्रम साराभाई के नाम पर इसरो ने विक्रम लैंडर का नामकरण किया है. विक्रम लैंडर का भार 1752 किलोग्राम है और यह चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का कार्य करेगा. सॉफ्ट लैंडिंग ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी भी लैंडर को चांद की सतह पर बिना किसी नुकसान के उतरने की क्षमता होती है.

इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के साथ भेजे गए रोवर को क्या नाम दिया है?

प्रज्ञान: चंद्रयान-3 मिशन को इसरो ने 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया था. इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को ‘विक्रम’ और ‘रोवर’ को ‘प्रज्ञान’ नाम दिया है, जो एक वैज्ञानिक पेलोड होता है. ‘प्रज्ञान’ एक रोबोटिक व्हीकल है जिसका संस्कृत में अनुवाद ‘ज्ञान’ होता है. चंद्रयान-3 मिशन 2019 के चंद्रयान-2 मिशन का अनुवर्ती है, जिसमें चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर की लाइफ कितनी है?

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर 14 दिनों तक विभिन्न प्रकार की खोज में लगे रहेंगे. सोलर पैनल की मदद से ये डिवाइस चार्ज होकर चांद पर सक्रिय रहेंगे. साथ ही, इसरो के चीफ एस सोमनाथ का यह भी आदान-प्रदान है कि 14 दिनों के बाद भी चंद्रयान का काम करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.

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23 अगस्‍त को ही चंद्रयान-3 की लैंडिंग क्‍यों करायी गयी ?

इसरो ने 23 अगस्त को लॉन्चिंग की प्लानिंग पहले ही कर ली थी। इसका कारण यह था कि चांद के एक हिस्से पर केवल 14 दिन तक सूरज की रौशनी पहुंचती है और अगले 14 दिन वहां अंधेरा रहता है। सोलर पैनल से चलने वाले लैंडर और रोवर को सूरज की रोशनी की आवश्यकता होगी। इसलिए इसरो ने लॉन्चिंग डेट इस प्रकार चुनी ताकि विक्रम के लैंड होने के समय साउथ पोल एरिया में सूरज की रोशनी पहुंचती रहे.

चंद्रयान -3 के लैंडिंग के चार फेज कौन- कौन से थे?

चंद्रयान-3 के लैंडिंग के चार फेज निम्नलिखित थे

  • डिसएंट फेज (Descent Phase): इस फेज में विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह की ओर अवगमन करता है। यह उच्चायन के बाद लैंडिंग स्थल पर पहुँचने की प्रक्रिया होती है।
  • रोवर सेपरेशन फेज (Rover Separation Phase): इस फेज में विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर को अलग कर दिया जाता है।
  • लैंडिंग फेज (Landing Phase): इस फेज में विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करता है।
  • प्रज्ञान रोवर (Rover Descent Phase): इस फेज में प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरने की प्रक्रिया आरंभ करता है.

ये चार फेज विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करने की प्रक्रिया के हिस्से थे।

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