
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस – International Day of Non-Violence 2025 in Hindi
- विवेक कुमार
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International Day of Non-Violence 2025 in Hindi – 2 अक्टूबर को विश्वभर में महात्मा गांधी जी के जन्मदिन को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे की अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (अंतरराष्ट्रीय डे ऑफ नॉन-वायलेंस डे) कब और क्यों मनाया जाता है. साथ ही इतिहास, उद्देश्य, महत्व
जाने कब और क्यों अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (अंतरराष्ट्रीय डे ऑफ नॉन-वायलेंस डे) मनाया जाता है?
अंतरराष्ट्रीय डे ऑफ नॉन-वायलेंस डे का आरंभ संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 15 जून 2007 को किया गया था, और इसके बाद 2 अक्टूबर 2007 को पहली बार यह दिवस मनाया गया। ‘अंतरराष्ट्रीय डे ऑफ नॉन-वायलेंस’ को दुनिया के 193 देशों में से 140 देशों में मनाया जाता है, जिसमें अमेरिका, अफ्रीका, भारत, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, और अन्य कई देश शामिल हैं। महात्मा गांधी हमेशा अहिंसा को अपना मूल धर्म मानते थे और उन्होंने सभी को ‘अहिंसा परमो धर्म’ का संदेश दिया।
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (अंतरराष्ट्रीय डे ऑफ नॉन-वायलेंस डे) का इतिहास
जनवरी 2004 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले ईरान के शिरीन इबादी ने पहले ‘अहिंसा का अंतरराष्ट्रीय दिवस’ का सुझाव दिया था, और इसे वर्ष 2007 में भारतीय कांग्रेस पार्टी की सोनिया गांधी और देस्मोंड टूटू ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत किया।
इसके बाद, 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वोटिंग कराई गई और उसके परिणामस्वरूप, 2 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ को मनाने का प्रस्ताव पास कर दिया गया। इसके बाद से ही 2 अक्टूबर को ‘इंटरनेशनल डे ऑफ नॉन-वायलेंस’ के रूप में मनाया जाता है और लोगों को अहिंसा का संदेश देने के लिए प्रेरित किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (अंतरराष्ट्रीय डे ऑफ नॉन-वायलेंस डे) का उद्देश्य
‘अहिंसा दिवस’ की शुरुआत 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत द्वारा दी गई सर्वोत्तम समर्थन के परिणामस्वरूप हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व भर में शांति के संदेश को प्रोत्साहित करना और महात्मा गांधी के योगदान की सराहना करना था।
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (अंतरराष्ट्रीय डे ऑफ नॉन-वायलेंस डे) का महत्व
- अहिंसा हमारे और अन्य व्यक्तियों के जीवन में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इतिहास में हिंसा और युद्ध के कई दुखद उदाहरण हैं जो हमें सिखने के लिए मिलते हैं।
- महात्मा गांधी ने भी अपने जीवन में हिंसा का अंजाम देखा और इसके परिणामस्वरूप वे अहिंसा के प्रेरणास्त्रोत बने।
- हमें अपने सभी विवादों और मुद्दों को शांति और अहिंसा के माध्यम से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
- अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2019 की थीम ‘जलवायु क्रिया: गांधीवादी तरीके’ (Climate Action: Gandhian Ways) थी, जो पर्यावरण के मामलों में अहिंसा के मूल सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए थी।