महादेव गोविन्द रानाडे के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
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महादेव गोविन्द रानाडे एक प्रसिद्द भारतीय राष्ट्रवादी, विद्दान, समाज सुधारक और न्यायविद थे. रानाडे ने सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वासों का कड़ा विरोध किया और समाज सुधार के कार्यो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. समाज सुधारक संगठनों जैसे प्रार्थना समाज, आर्य समाज और ब्रह्मा समाज ने रनाडे को बहुत प्रभावित किया था.
Important facts about of Mahadev Govind Ranade in Hindi
- महादेव गोविन्द रानाडे का जन्म 18 जनवरी, 1842 में महाराष्ट्र के नासिक के एक छोटे से कस्बे निफाड़ में हुआ था.
- बिर्टिश शासन में सरकारी नौकरी में काम करते हुए गोविन्द रानाडे आम जनता से लगातार सम्पर्क बनाए रखते थे और उन्हें देशहित के कार्यो के लिए प्रेरित करते रहते थे.
- वे मानते थे की मनुष्य की सामाजिक, राजनितिक, आर्थिक और धार्मिक प्रगति एक दुसरे पर आश्रित है.
- रानाडे को महाराष्ट्र का सुकरात कहा जाता है.
- रानाडे ने स्त्रियों की परतंत्रता, बाल विवाह विशेध, जातिगत संक्रिर्णता के आधार पर सजातीय विवाह, स्त्रियों में अशिक्षा और उपेक्षा, विदेश यात्रा निषेध आदि का विरोध किया.
- उन्होंने स्त्री शिक्षा का प्रचार किया और वे बाल विवाह के कट्टर विरोधी और विधवा विवाह के समर्थक थे.
- रानाडे ने एक आस्तिक की धर्म में आस्था नाम 39 अनुच्छेदों वाली पुस्तक लिखी.
- कर्वे के सहयोग से उन्होंने 1867 में विधवा आश्रम संघ की स्थापना की.
- महागोविंद रानाडे ने पूना में 1871 ई. में पुन सार्वजनिक सभा की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य जनता में राजनितिक चेतना जागृत कारण तथा महाराष्ट्र में समाज सुधार करना था.
- भारतीयों में शिक्षा के प्रसार व् अज्ञानता के विनाश के उद्देश्य से 1884 में दक्कन एजुकेशन सोसायटी की स्थापना की. डेक्कन एजुकेशन सोसाईटी को ही कालान्त्कार में पुन फगर्युसन कॉलेज का नाम दिया गया.