भारत के राष्ट्रीय ध्वज और इसका इतिहास सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
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हम सब जानते है की हर स्वतंत्र देश का अपना झंडा (ध्वज) होता है जो उस देश की पहचान होती है हर आजाद देश के राष्ट्रिय ध्वज का अपने आप में अलग अलग अभिप्राय होता है।
भारत का ध्वज (तिरंगा झंडा) एवं इसके चिन्ह की जानकारी – Information about India’s flag and its symbols in Hindi
वहीँ तीन रंगों केसरिया, सफेद और हरे से मिलकर बने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते है। जोकि हर भारतीय नागरिक के आन वान और शान है, जिसके लिए वीरों ने अपनी जान तक कुर्वान की है । जिसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। तो आइये जानें भारत के तिरंगे के इतिहास व् उसके सभी रंगों के बारे में विस्तार से जानकारी।
भारतीय तिरंगे की जानकारी – Information about the Indian Tricolor
स्वतंत्र भारत देश के राष्ट्रिय ध्वज की कुल लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 2/3 है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज में सबसे प्रथम केसरिया, बीच में सफ़ेद व सबसे नीचे हरा रंग होता है। भारत के राष्ट्रिय ध्वज के सभी रंगों का अपने में अलग अलग मतलब है ।
भारतीय ध्वज के रंगों की जानकारी – Information about the colors of the Indian flag
- भारत के ध्वज में सबसे उपरी भाग में केसरिया रंग होता है जो देश की ताकत एवं साहस का परिचायक है।
- बीच में सफ़ेद रंग की पट्टी शांति एवं सत्यता को दर्शाती है।
- और भारत के ध्वज में सबसे निचले भाग में हरे रंग की पट्टी धरती की उर्वरता, विकास एवं पवित्रता की परिचायक है।
भारतीय ध्वज में अशोक चक्र का मतलब – The meaning of Ashok Chakra in the Indian flag
भारतीय तिरंगे में सफ़ेद रंग के बीच में एक चक्र बना हुआ होता है जिसमे 24 तीलियाँ होती है ये चक्र इस बात को दर्शित करता है कि जीवन गतिमान है जबकि मृत्यु निश्चलता का नाम है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास – History of the National Flag of India
भारत का प्रथम राष्ट्रिय ध्वज 1904 से 1906 के बीच बनाया गया जिसे स्वामी विवेकानंद की आयरिश भक्त भगिनी निवेदिता ने बनवाया था। जिसे आगे भगिनी निवेदिता ध्वज के नाम से भी जाना गया था। भगिनी निवेदिता ध्वज में लाल और पीले रंग की पट्टियाँ थी। जिसमे लाल रंग आज़ादी के संघर्ष और पिला रंग जीत को दर्शाता था। भगिनी निवेदिता ध्वज में लाल और पीले रंग की पट्टियाँ थी। और वज्र, हथियारों के देवता ‘इंद्र’ और ध्वज के मध्य कमल को दर्शाया गया था। बता दे कि भारत में यह पहले ध्वज नहीं है इससे पहले भी कई ध्वज रह चुके हैं भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। आइयें जाने
1907 में पेरिस में मैडम कामा द्वारा दूसरा राष्ट्रिय ध्वज लहराया गया था। जिसमे उपरी रेखा की जगह एक कमल और स्टार था।
1917 तीसरा ध्वज में लहराया गया जिसमे पाँच लाल और चार हरी रेखाए थे वही इसके दाहिने हाथ के उपरी किनारे पर एक यूनियन जैक (एकता चिन्ह) भी था।
1921 में महात्मा गांधीजी जी को बेजवाडा में होने वाली ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी में आंध्र के कुछ युवको एक ध्वज बनाकर सौपा। इस ध्वज में लाल और हरे दो रंग थे जो हिन्दू और मुस्लिम पर आधारित था ।
1931 में स्वर्णिम युग का ध्वज आज के ध्वज की तरह जहा उपर केसरिया, बीच में सफ़ेद और फिर हरा रंग और ध्वज के मध्य महात्मा गांधी जी का चरखे का चिन्ह था।
22 जुलाई 1947 में भारत के ध्वज को निर्वाचक असेंबली स्वीकार और भारत की आजादी होने पर महात्मा गांधी जी के चरखे की जगह अशोक चक्र को भारत के ध्वज के बीच में चिन्निहित किया गया।
भारत देश में अक्सर किसी राष्ट्रिय या निजी परेड, कार्यक्रम, जलूस आदि में ध्वज को सम्मान के साथ फेहराया जाता है जैसे गणतन्त्र दिवस, स्वंत्रता दिवस, स्कूल फंक्शन आदि में।
हमे उम्मीद है की अपने यहाँ से “भारत के राष्ट्रीय ध्वज ” से संबधित सही और सटीक सामान्य ज्ञान जानकारी अर्जित की होगी यदि फिर भी कुछ ऐसा जो हमने यहाँ गणतंत्र दिवस के बारे में कुछ प्रकाशित नहीं किया या कुछ सुधार करना हो तो कृपया आप हमे ईमेल करे।