मध्‍याह्न भोजन योजना के तहत भारत के स्कूल के कम उम्र के बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति में वृद्धि करना है, जानें लक्ष्य

Mid Day Meal Yojana – मध्‍याह्न भोजन योजना उद्देश्य और सुधार

यहाँ हमने मध्‍याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal Scheme/Yojana) के बारे में बहुत महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान जानकारी प्रकाशित की है जिसमे आप मध्‍याह्न भोजन योजना से संबधित सटीक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे जैसे, मध्‍याह्न भोजन योजना क्या है, मध्‍याह्न भोजन योजना के लाभ, मध्‍याह्न भोजन योजना के उद्देश्य आदि. तो चलिए जानते मध्‍याह्न भोजन योजना क्या है हिंदी में?

Mid Day Meal Yojana – मध्‍याह्न भोजन योजना” in Hindi

  • मध्यान्ह भोजन योजना 1995 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में स्कूल उम्र के बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति में वृद्धि करना है
  • इस योजना का उद्देश्य स्कूलों में नियमित रूप से भाग लेने के लिए, वंचित वर्गों से संबंधित गरीब बच्चों को प्रोत्साहित करना और उन्हें कक्षा की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना है
  • यह योजना 1,265,000 से अधिक स्कूलों और शिक्षा गारंटी योजना केंद्रों में 1,20,000,000 बच्चों को मुहैया कराता है
  • मौजूदा मानदंडों के अनुसार, प्राथमिक बच्चों को 30 ग्राम दालों, 75 ग्राम सब्जी और 7.5 ग्राम सब्जियां प्रदान की जाती हैं
  • नए 2015 मधुमेह योजना के नियमों के अनुसार, विशिष्ट कारणों से भोजन की आपूर्ति न होने के मामले में, खाद्य सुरक्षा भत्ता का भुगतान करना होगा और यदि स्कूल के तहत आबंटित धनराशि मिलती है तो विद्यालय अन्य धन का उपयोग कर सकता हैं
  • आधिकारिक वेबसाइट: http://mdm.nic.in/

Mid Day Meal Yojana – मध्‍याह्न भोजन योजना उद्देश्य

  • सरकारी स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल और ईजीएस व एआईई केन्द्रों तथा सर्व शिक्षा अभियान के तहत सहायता प्राप्‍त मदरसों एवं मकतबों में कक्षा I से VIII के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करना
  • लाभवंचित वर्गों के गरीब बच्‍चों को नियमित रूप से स्‍कूल आने और कक्षा के कार्यकलापों पर ध्‍यान केन्द्रित करने में सहायता करना, और
  • ग्रीष्‍मावकाश के दौरान अकाल-पीडि़त क्षेत्रों में प्रारंभिक स्‍तर के बच्‍चों को पोषण सम्‍बन्‍धी सहायता प्रदान करना

Mid Day Meal Yojana – मध्‍याह्न भोजन योजना में सुधार

देशभर में मिड डे मील योजना के तहत, 25.70 लाख रसोईया-सहायकों को काम दिया गया है। इन सहायकों को काम के लिए मानदेय में संशोधन किया गया है, और इसका प्रभाव 1 दिसंबर, 2009 से लागू हुआ है, जिसके अनुसार प्रति माह उन्हें एक हजार रुपये मिलेंगे, और साल में कम से कम दस महीने काम करना होगा। इस कार्य के लिए मानदेय का खर्च केन्द्र और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच 90:10 के औसत अनुपात में उठाया जाता है, जबकि अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र के बीच यह औसत 60:40 निर्धारित किया गया है। यदि राज्य/केंद्रशासित प्रदेश चाहे तो वे इस कार्य में किए जाने वाले खर्च में योगदान निर्धारित अनुपात से अधिक भी कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: गुजरात सरस्वती साधना योजना में मिलेगी छात्राओं को फ्री बाइसिकल, जानें कैसे प्राप्त करें मुफ्त साइकिल

Previous Post Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *