What does the Election Commission do in Hindi?
- Gk Section
- 0
- Posted on
निर्वाचन आयोग क्या करता है:संविधान के अनुच्छेद 324(1) में निर्वाचन आयोग के कार्यो का वर्णन किया गया है| इन कार्यों का निम्नलिखित रूप में अध्ययन किया जा सकता है-
चुनाव का प्रबंध, निर्देशन व् नियंत्रण () – देश की चुनाव सम्बंधित सम्पूर्ण व्यवस्था चुनाव आयोग के पास है | वह चुनावों का प्रबंध करता है, निर्देशन करता है और नियंत्रण करता है| चुनाव से सम्बंधित सभी समस्याओं का निपटारा करता है, और निष्पक्ष रूप में चुनावों को कराने के लिए उत्तरदायी है|
मतदाता सूचियों की तैयारी (The Superintendence, direction and control of Election) – चनावों से पूर्व चुनाव-खेस्त्र स्तर पर मतदाता सूचियों को संशोधित करके तैयार करना, उन पर जनता से आपत्तिया प्राप्त करना और यथासम्भव सभी मतदान करने की योग्यता रखने वाले नागरिकों के नामों को मतदाता सूचि में अंकित करने का कार्य चुनाव आयोग का महत्वपूर्ण कार्य है|
संसद के लिए चुनाव करना (Conduct of all Elections to Parliament) – संसद के दोनों साड़ों के लिए सदस्यों का चुनाव निर्वाचन आयोग करता है राज्य सभा के लिए प्रति दो वर्ष पश्चात् होने वाले या रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए अर्थात उप-चुनावों को सम्पादन चुनाव आयोग करता है| इसी प्रकार देश में साधारण चुनावों के माध्यम से लोकसभा के लिए जन प्रतिनिधियों का निर्वाचन तथा समय-समय पर होने वाले रिक्त स्थानों के लिए लोकसभा के उप-चुनावों का संपादन भी चुनाव आयोग करता है|
राज्य विभाग मंडलों के लिए चुनाव कराना (Conduct of all elections to State Legislatures) – इसी प्रकार विभिन्न राज्यों की विधान्परिश्दों तथा विधानसभाओं के चुनावों का सम्पादन भी चुनाव आयोग करता है| समय-समय पर होने वाले उप-चुनावों की व्यवस्था भी चुनाव के द्वारा होती है|
राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति का चुनाव कराना (Conduct of the election of the President and Vice-President of India) – जब देश में राष्ट्रपति या उप-राष्ट्रपति के पद रिक्त हो जाते है तो उनके लिए भी चुनाव कराने का उत्तरदायित्व निर्वाचन आयोग को दिया जाता है| राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के व् राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचन सदस्य भाग लेते है और उप-राष्ट्रपति को केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य ही निर्वाचित करते है|
कर्मचारियों पर नियंत्रण (Control over the Staff) – केंद्र व् राज्य सरकारों द्वारा चुनाव कार्य के लिए दिए गए कर्मचारियों पर चुनाव आयोग का नियंत्रण होता है और सम्पूर्ण उत्तरदायित्व की पूर्ति करने तक वे आयोग के आदेशो का पालन करने के लिए बाध्य होते है चुनाव आयोग उन्हें निर्देश देता है की वे अपने अधिकारों का प्रयोग एवं दायित्वों का निर्वाह ठीक ढंग से करें|
राजनितिक दलों को मान्यता (Recognition to Political Parties) – निर्वाचन आयोग का कार्य राजनितिक दलों को देश की जनता द्वारा मिले समर्थन के आधार पर मान्यता प्रदान करना है| प्रत्येक चुनावों के पश्चात् राजनितिक दलों को राष्ट्रिय स्तर पर तथा राज्यों के स्तर पर मान्यता दी जाती है जब कोई दल सम्पूर्ण वैध मतों का चार प्रतिशत प्राप्त कर लेता है तो उसे राष्ट्रिय दल की मान्यता प्राप्त होती है | आंतरिक मतभेद या कलह के समय जब किसी दल का विघटन हो जाता है तो चुनाव आयोग ही यह निर्धारित करता है की वास्तविक दल कौन-सा है, अर्थात दल के दो धड़े हो जाने पर किसे राष्ट्रिय दल के रूप में मान्यता दी जाए| 1991 में जनता दल में चंद्रशेखर के अलग होने पर श्री. वी.पी. सिंह के नेत्रत्व वाले दल को जनता दल के रूप में मान्यता दी गई|
दलों व् स्वतंत्र प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह देना Allotment of Symbols to Political Parties and Independent Candidates) – चुनाव आयोग राजनितिक दलों के लिए चुनाव चिन्ह निर्धारित करता है| इन चिन्हों का उपयोग वही दल कर सकते है जिनके लिए वे निर्धारित किए गए है| स्वतंत्र प्रयाधिशों को चिनव के समय उनकी इच्छानुसार व् प्राप्त चिन्हों के आधार पर चुनाव-चिन्ह निश्चित कर दिए जाते है | चुनाव चिन्हों से सम्बंधित सभी झगड़ों को चुनाव आयोग निपटाता है|
चुनाव आयोग देश में स्वतंत्रता एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|