पृथकतावादी आन्दोलन हिंदी में

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Separatist Movement in Hindi

पंजाब में अकाली दल कई मुद्दों को लेकर जब राजनितिक सत्ता प्राप्त करने में असफल हुआ तब उसके उग्र गुट ने धर्म की आड़ में एक हिंसक आन्दोलन चलाया| सैंकड़ो निर्दोष व्यक्ति उग्रवादियों के हाथो अमानवीय व्यवहार तथा आतंकवाद के शिकार हुए| 1984 में केन्द्रीय सरकार ने सैनिक कार्यवाही द्वारा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को आतंकवादियों के चुंगल से छुड़ाया|

इस आतंकवाद को रोकने का श्रेय पुलिस अधिकारी गिल तथा मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को जाता है| पंजाब में अब यह पृथकवादी मांग शांत पड़ चुकी है|

असम के उत्तर-पूर्वी क्षत्रों में रहने वाली जनजातियों वाले आंदोलनकारी ‘बोड़ो राज्य’ की मांग कर रहे है| केंद्र सरकार रवं असम सरकार ने स्पस्ट शब्दों में कह दिया की उनकी मांग तर्कसंगत नहीं है परन्तु उनके मान-सम्मान रखने तथा उनके अपनी परम्पराओं, इच्छाओं व् महत्वाकांक्षाओ को बनाए रखने के लिए फरवरी, 1993 में सरकार और बोड़ो आन्दोलनकारियों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत एक 40 सदस्यीय परिषद् की स्थापना की जानी थी| बोडो नेताओं के अनुसार इस परिषद् के अधिकार क्षेत्र में 3,085 गाँव आते है, जबकि सरकार ने बोडो क्षेत्र में 2,570 गाँवों को शामिल किया था| 10 फरवरी 2003 को केंद्र, असम सरकार तथा बोडो लिबरेशन टायगर्स के बीच बोड़ो क्षेत्रीय परिषद् (Bodo land Territoral Council) के गठन को लेकर एक समजौता हुआ| इस समझौते के अनुसार संविधान की छठी अनुसूची के आदिवासियों की आर्थिक, राजनितिक, सांस्कृतिक व शेक्षणिक महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करना था| 1986 में दार्जिलिंग और उसके आसपास की घाटियों में रहने वाले गोरखा लोगो ने एक ‘पृथक राज्य’ की स्थापना के लिए आन्दोलन शुरू किया| यह आन्दोलन सुभाष घिसिंह के नेतृत्व में लगभग दो वर्षो तक चला| आखिरकार केन्द्रीय सरकार, पश्चिमी बंगाल सरकार तथा गोरखा मौर्चे के नेताओं के मध्य इस बात पर सहमति हुई की पर्वतीय क्षेत्रों के लिए एक 42 सदस्यों वालो ‘दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद् (Darjeeling Gorkha HIll Council) का गठन किया जाए| इस परिषद् को पर्वतीय क्षेत्रो के विकास का कार्य सौंपा गाया था और इस कार्य की प्रभावों बनाने के लिए यह तय हुआ की केंदीय व् राज्य सरकार उसे समुचित सहायता-अनुदान देंगे|

नागलैंड को संविधान के अनुच्छेद 371 के अंतर्गत कश्मीर को दिए गए विशेष स्थान के सामान, एक विशेष स्थान के समान, एक विशेष स्थिति प्राप्त है| नागालैंड की नेशनलिस्ट सोशलिस्ट कौंसिल (Nationalist Socialist Council) ने ‘ग्रेटर नागलैंड’ की स्थापना की मांग को लेकर आन्दोलन चलाया| इस गतिविधि के लिए उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी| इस लक्ष्य को लेकर जनवरी 2003 में नागा नेताओं ने केंदीय सरकार के प्रतिनिधियों से बातचीत की| दोनों पक्ष आपसी वार्ता की प्रगति से सन्तुष है परन्तु समस्या का समाधान तय करना आभी बाकी है|

कश्मीर के सन्दर्भ में पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित लड़ाकू तत्वों ने पाकिस्तान से जुड़े जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu-Kashmir Liberation Front) तथा जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों द्वारा कश्मीर में हिंसा व् आतंक द्वारा आतंकवाद फैला रखा है| इनको प्रिथ्क्वादी मांगो के विरुद्ध मार्च 1996 में केन्द्रीय सरकार और कश्मीर घाटी के आतंकवादी समूहों के बीच लाभदायक वार्तालाप हुई| इसके विपरीत 17 जनवरी, 2000 को पाकिस्तान सरकार ने यह घोषित किया की वह कश्मीरी आतंकवादियों को समर्थन देता रहेगा| दूसरी और , पाकिस्तान फैला रहे है| भारत के लोगो का मत है की इन आतंकवादी ताकतों के विरुद्ध भारत को आक्रामक तेवर अपनाना चाहिए ताकि कश्मीर की सुरक्षा, शान्ति व्यवस्था तथा विकास संभव हो|

पिछले दशक में भारत के कुछ अन्य क्षेत्रो में प्रजातंत्रीय विकेंद्रीकरण की आड़ में कुछ आन्दोलन छत्तीसगन, उत्तरांचल तथा झारखंड नामक राज्यों को जन्म देने में सफल हुए है, और इन्हीं आधारों पर कुछ अन्य आन्दोलन विदर्भ के लिए अलग राज्य व् हरित प्रदेश रूपी राज्य मांग कर रहे है| निकट भविष्य में हिमाचल प्रदेश में डोगरलैंड तथा तमिलनाडु के दक्षिण भाग में अलग राज्य की स्थापना की मांग उठने की संभावना है|

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